Friday 22 June 2018

अवतरण योग








नमस्कार दोस्तों,

मेरे YouTube चैनल  MafatShikho में आपका स्वागत है।
MafatShikho का अर्थ हे निशुल्क जानें।
आज हम अवतरण योग के बारे में बात करेंगे।

अवतरण योग क्या है?
 पहले हमें बुनियादी सवाल मैं क्यों हूं (Why am I) समझना होगा
 मैं क्यों हूं मानव मन का एक बुनियादी सवाल है।
 इस प्रश्न मे आप कुछ भी जोड़ सकते हैं, मैं यहाँ क्यों हूं
 मैं मोटा क्यों हूँ?  मैं दुर्बल क्यों हूं?  मैं गरीब क्यों हूँ?  मैं यह या वह क्यों हूँ?  वस्तुतः कोई भी सवाल
 मेरे ध्यान के अनुसार मुझे पता चला कि हमे समस्याएं हैं, क्योंकि हम वो समस्याओं या प्रश्नों के कंपन को पकड़ते हैं।
 मेरे अनुसार समस्या और प्रश्न समानार्थक शब्द हैं
 यदि हम कंपन को पकड़ना बंद कर देते हैं तो हम हमारी समस्याओं और प्रश्नों को रोक सकते हैं।
 अगर हम FM रेडियो का एक उदाहरण लेते हैं तो समझना आसान होगा।
 आपके पास FM रेडियो शरीर या उपकरण हैं और हवा में सभी चैनल कि तरंगे हैं।
 अगर कोई चैनल गाने, कुछ वार्ता और कुछ अपमानजनक भाषाएं पैदा करता है, तो सभी तरंग आपके रेडियो उपकरण के आसपास हैं।
 लेकिन यह आपके रेडियो को प्रभावित नहीं करता।
जब आप गाने के लिए ट्यून करते हैं तो तुरंत रेडियो गाने प्रसारण शुरू करता है और जब आप अपमानजनक भाषा को ट्यून करते हैं तो रेडियो उसे भी प्रसारित करना शुरू करता है।
 इसी प्रकार, आपका शरीर और मस्तिष्क एक उपकरण है, अच्छे और बुरे कंपन हवा में हैं। और आपका ध्यान एक ट्यूनिंग है।
 जब आप किसी भी विचार पर ध्यान देते हैं तब यह आपके शरीर और इंद्रियों के माध्यम से प्रसारण शुरू करता है।
 इन सभी कंपन को रोकने के लिए सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि ये कंपन कैसे पैदा होते हैं और हमारे शरीर और मन को कैसे प्रभावित करते हैं।
 सभी का जवाब "मैं क्यों हूं" (Why am I) के अंदर ही छुपा है।
"मैं क्यों हूं" मे Y M I होते हैं योग, ध्यान और अवतरण।
 हमें अपने प्रश्नों को सुलझाने के लिए योग, ध्यान और अवतरण को समझना होगा।
 कंपन के कारण अवतरण होता है और अवतरण में कंपन उत्पन्न होते हैं। यह एक दुष्चक्र है।
 इस कंपन - अवतरण चक्र को तोड़ने के कई तरीके हैं।
 लेकिन इस वीडियो मे मैं यह समझने की कोशिश करूंगा कि इस कंपन और अवतरण कैसे बनता है। और हम योग और ध्यान से खुद को इस चक्र से कैसे अलग कर सकते हैं।
 कंपन - अवतरण चक्र को समझने के लिए पहले हमें अवतरण के चरण और चेतना को समझना होगा।
 प्राचीन लिपियों के अनुसार अवतरण के कई चरण हैं, लेकिन अगर हम इसे बड़े पैमाने पर देखते हैं तो हम छह अवस्था का प्रतीक बना सकते हैं।
 छह अवतरण अवस्थाएं हैं:
1.    मत्स्य – (अस्तित्व)
2.    पेड़ – (न चलने वाला अस्तित्व)
3.    मेंढक या कछुए – (पानी और पृथ्वी पर चलने वाला अस्तित्व)
4.    बिल्ली या बंदर – (अहिंसक जानवर अस्तित्व)
5.    शेर – (हिंसक पशु अस्तित्व)
6.    मानव – (अस्तित्व के साथ समझ)
 ये सभी प्राणि उनकी इच्छा और भावनाओं के कंपन उत्पन्न और संग्रह करते हैं। उसे चेतना कहा जाता है
 चेतना के तीन प्रकार हैं:
1.    व्यक्तिगत चेतना
2.    सामूहिक चेतना
3.    ब्रह्मांडीय चेतना
 आइए समझने की कोशिश करे कि ये छह अवतरण कैसे तीन प्रकार की चेतना पैदा करता हैं।

 मत्स्य
 ब्रह्मांडीय चेतना के कारण पहला जागरूक अवतरण मछली अस्तित्व में आया।
 फिर मछली खुद इच्छा और चाहत करने लगी। यह कंपन एक व्यक्तिगत चेतना बनाती है।
 मछली पृथ्वी पर चलने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए मछली पृथ्वी पर चलने की इच्छा का कंपन पेदा करती है।

पेड़
 वह इच्छा पेड़ पैदा करती है।
 पेड़ एक जगह से दुसरी जगह जाने में सक्षम नहीं हैं, इस लिए उसकी सबसे तीव्र इच्छा एक जगह से दुसरी जगह जाने की है।

मेंढक या कछुए
 वह इच्छा मेंढक या कछुए पेदा करती है, पानी में और पृथ्वी पर चलने वाला अस्तित्व।
 मेंढक और कछुए तेजी से चलने और केवल पृथ्वी पर रहने की इच्छा करता हैं।

बिल्ली या बंदर
 वह इच्छा बिल्ली या बंदर जैसे अहिंसक जानवरों को पेदा करती है।
 इस प्रकार का अस्तित्व, स्वयं की रक्षा करने के बारे में जागरूक होता हैं।

शेर
 अपने आप को बचाने के लिए अस्तित्व हिंसक बना और शेर जैसे हिंसक पशु अस्तित्व में आए।
 सभी जानवर अपने दो पैरों पर खड़ा होना शुरु करते हैं उसके कारण उनके दिमाग का विकास होता है।

मानव
 इतिहास और खोज से पता चलता है कि आधे जानवर आधे मानव जीवों का अस्तित्व हैं।
 यह विकास आज के मानव पैदा करता है।
 तो मानव मे जीवन के सभी चरणों की व्यक्तिगत चेतना है।
 प्रत्येक वृक्ष, पशु और मानव अवस्था में अपनी भावनाएं और इच्छा होती है।
 जब कोई किसी पेड़, जानवर या मानव को काटता या जला देता है, तो ये जीव व्यक्तिगत चेतना के रूप में उस कंपन को संग्रह करता हैं।
 एक ही प्रकार के जीव या एक ही क्षेत्र के जीवो की इच्छा और सोच सामूहिक चेतना पैदा करता है।
 जेसे गर्म जलवायु में रेह्नेवाले जीव ठंडे जलवायु में रेह्नेवाले जीव की तुलना में अलग भावनाएं और इच्छाएं पैदा करते हैं।
 सामूहिक चेतना के कई प्रकार हैं।
 सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी और अन्य ग्रहों की कंपन से ब्रह्मांडीय चेतना पैदा होती हैं।
 हम जानते हैं कि इंसानो मे जीवन के सभी चरणों की व्यक्तिगत चेतना है।
 जब मनुष्य मर जाता है तो यह कंपन हवा में रह जाता है।
 जब एक नया बच्चा पैदा होता है, तो यह कंपन या चेतना उस पर उतरती है।
 आइऐ एक उदाहरण से समझते हैं।
 मानव में तीन चीजें हैं; शरीर, प्राण (आत्मा) और जीव (चेतना)
 जब महिला अंडा कोशिका और पुरुष शुक्राणु कोशिका एक साथ मिलती है तो यह भ्रूण या शरीर बनाता है।
 अगर यह आत्मा या जीवन शक्ति के बिना बाहर आता है; तो हम इसे मृत जन्म या जीवन बिना का बच्चा कहते हैं।
 यदि बच्चा आत्मा या जीवन के साथ जन्म लेता है; तो पहली कंपन या व्यक्तिगत चेतना उस पर उतरती है।
 अब यह नवजात शिशु उस्के उपर उतरी हुई चेतना के अनुसार सोचता और इच्छाएं करता है।
 शरीर मे कंपन संग्रह की प्रक्रिया निरंतर चलती है और हम अपने जीवन काल के दौरान कई कंपनों को पकड़ते और छोड्ते हैं।
 ब्रह्मांडीय कंपन या चेतना में कई सामूहिक और व्यक्तिगत कंपन शामिल हैं।
 ब्रह्मांडीय, सामूहिक और व्यक्तिगत कंपन का समूह, जो धरती पर मानव जीवन को बेह्तर बनाने की इच्छा रखते हैं; हम इसे अच्छी चेतना, देवदूत या भगवान कहते हैं।
 ब्रह्मांडीय, सामूहिक और व्यक्तिगत कंपन का समूह, जो अपनी ही इच्छा पूरी करते हैं और पृथ्वी पर सभी प्रकार के नुकसान की अनदेखी करते हैं; हम इसे बुरी चेतना, बुरी आत्मा या दानव कहते हैं।
 जीवन में हमारा लक्ष्य है कि उतरे हुए कंपन को निकाले ओर नए कंपन को पकड़े बिना जीते रहे।
 जब हम सभी उतरे हुए कंपन को हटा देंते हे तो हम मुक्त हो जाते हैं।
 धर्म इसे 'मोक्ष' या 'निर्वाण' कहता हैं।
 इस उतरे हुए कंपन को हटाने के कई तरीके हैं।
 सबसे लोकप्रिय है 'साक्षी'
 जो विचार या कंपन हमारे दिमाग में आते है उसे सिर्फ देखकर यह समझना होगा कि यह विचार या कंपन मेरा नहीं है।
 लेकिन केवल साक्षी बहुत मुश्किल है, क्योंकि हम इंसान कुछ करने के आदी हैं।
 यही कारण, यह अवतरण योग उपयोगी है।
 अवतरण योग में, योग और ध्यान संयुक्त हैं।
 यहां मैं केवल योग मुद्रा के बारे में नहीं, बलकी महर्षि पतंजलि के योग सूत्र के सभी ८ चरणों कि बात कर रहा हूं।
1.    यम – (गैर आक्रामक शांतिपूर्ण जीवन)
2.    नियम – (ब्रह्मांडीय कानून के अनुसार जीना)
3.    आसन - (अवांछित कंपन को हटाने के लिए शारीरिक आसन)
4.    प्राणायाम - (कंपन पकड़ने/छोड़्ने के लिए श्वास को नियंत्रित करना)
5.    प्रत्याहार - (बाहरी कंपन से विचारों को वापस लेना)
6.    धारणा - (अनुमान - कुछ कंपन प्राप्त करने के लिए मस्तिष्क को सक्रिय करना)
7.    ध्यान - (धारणा के लिए सही या गलत की पहचान के बिना, अखंडित अवलोकन)
8.    समाधि - (एसा अस्तित्व जहा कंपन की असर के बिना व्यक्ति जीवित रहेता है।)
 इसमें आपको सात कदम उठाने होंगे और आठवा प्राप्त होंगा।
 इस योग में हम प्रत्येक योगासन पर चरण ३ से ७ के अनुसार काम करेंगे।
 चरण ३ के अनुसार हम प्रत्येक अवतरण के लिए हमारे शरीर की मुद्रा को वृक्ष या बिल्ली के रूप में रखते हैं।
 चरण ४ के अनुसार हम उस अवतरण के कंपन को छोड़ने के लिए हमारी साँस को नियंत्रण करते हैं।
 चरण ५ के अनुसार हम किसी भी विचार, दर्द या झुनझुनी जो उस अवतरण के कारण होता है उस से अपने विचार वापस लेते हैं।
 चरण ६ के अनुसार हम अनुमान करते हैं कि हम किसी भी अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं, और अच्छे कंपनों के साथ खाली जगह भर रहे हैं।
 चरण ७ के अनुसार हम सुधार के सकारात्मक लक्षणों का पता लगाने की कोशिश करते हैं, और दर्द या बीमारी के लक्षणों की भावना से हमारा ध्यान हटा देते हैं।
 अगर हम योग के साथ ३ से ६ चरण करने में एक घंटा खर्च करते हैं और दिनभर चरण ७ याद रखने की कोशिश करते हैं तो हम अपने शरीर से किसी भी अवांछित कंपन या बीमारी को दूर कर सकते हैं।

 दैनिक इन १२ आसन पर चरण ३ से ६ लागू करे।

यदि आप योग अभ्यास मे मेरे जैसे नए हैं, तो योग की मुद्रा के बारे में बहुत ज्यादा चिंता न करें, क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण बात 'धरणा' है। यदि आपकी धारणा मजबूत है तो आपका शरीर धीरे-धीरे तदनुसार आकार लेने लगेगा।

पेड़ अवतरण के लिए

1)  सर्वांगपुष्‍टी ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   एक पेड़ की तरह खड़े हो जाए, केवल शरीर के ऊपरी भाग को ही हिलाए
2.   दो नो हाथो को शीर के उपर ऐसे ले जाये की भुजा कान को छुऐ
3.   मुट्ठी बांध कर कलाई क्रॉस करे
4.   पेट खाली होने तक साँस छोड़े ओर रोक दे
5.   उपर का शरीर थोडा पीछे कि ओर झुकाए ओर बाऐ से गोलाइ मे घुमे
6.   नीचे के शरीर को ना हीलए
7.   हर समय अनुमान करे कि आप पेड़ अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं
8.   साँस ले और आराम करे
9.   साँस छोड़े ओर दाहिने से गोलाइ मे घुमे

मत्स्य अवतरण के लिए

2)  मत्सेन्द्रीआसन ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   दाहिना पैर मोड़े और कूल्हे के नीचे एसे डाले की एड़ी मूलाधार (गुदा) को छुए
2.   दाएं पैर के घुटने के बाहर बाया पैर रखे
3.   शरीर के पीछे बाया हाथ रखे
4.   दाएं हाथ से बाएं पैर के घुटने को दबाएं
5.   और दाहिने हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़े
6.   पीछे ऊपर की ओर देखते रहे
7.   १० बार साँस ले और छोड़े
8.   हर समय अनुमान करे कि आप मत्स्य अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं
9.   विपरीत पैर से प्रक्रिया दोहराएं

मेंढक या कछुए अवतरण के लिए

3)  मंडूकासन ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   वज्रासन मे बैठे (घुटना टेककर एड़ी के उपर बैठे)
2.   साँस सामान्य रखे
3.   एक हाथ की मुट्ठी से नाभि दबाएं और दूसरे हाथ से दबाएं
4.   आगे की दिशा में ऊपर की तरफ देखे
5.   मुड़े और जमीन पर ठोड़ी स्पर्श करें
6.   सामान्य स्थिति में वापस आए
7.   कंधों को हीलाए बिना, केवल चेहरे को बाइ ओर ले जा सके वहा तक ले जाए
8.   बीच की स्थिति में आए और चेहरे को दाहिनी ओर ले जा सके वहा तक ले जाए
9.   हर समय अनुमान करे कि आप मेंढक अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं


4)  अग्निसार क्रिया + बंध ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   वज्रासन मे बैठे
2.   पेट खाली होने तक साँस छोड़े
3.   अंदर और बाहर पेट का कंपन करे
4.   १० बार कंपन के बाद, पूरी तरह से साँस छोड़े
5.   मुला बंध करे (गुदे को सिकुड़े)
6.   उड्डियान बंध करे (उदर की दीवार ऊपर की ओर उठाए)
7.   जालंधर बंध करे (सिर को झुकाकर ठोड़ी को गले के पास कंधे की हड्डियों के बीच में दबा देना)
8.   हर समय अनुमान करे कि आप मेंढक अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं


5)  सर्पासन ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   अपने पेट पर लेट जाए
2.   दोनों हाथ कान के बगाल मे भूमि को न छुते हुए रखे
3.   गहरी सास ले
4.   मुला बंध करे
5.   हाथ की सहायता के बिना, ऊपरी शरीर ओर सिर को ऊपर उठाएं
6.   हर समय अनुमान करे कि आप मेंढक अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं

बिल्ली या बंदर अवतरण के लिए

6)  बिलाव आसन ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   फर्श पर हाथ और घुटनो के बल बिल्ली की तरह हो जए
2.   दोनों पैरों को एक साथ रखें
3.   जैसे आप साँस छोड़े, रीढ़ को ऊपर की ओर बढ़ाए
4.   सिर भूमि की ओर छोड़ दे
5.   साँस लेते हुए रीढ़ को नीचे की ओर लाए
6.   सिर ऊपर की तरफ उठाएं
7.   हर समय अनुमान करे कि आप बिल्ली अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं

शेर अवतरण के लिए

7)  सिंहासन ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   फर्श पर हाथ और घुटनो के बल शेर की तरह हो जाए
2.   दोनों पैरों को दूरी में रखें
3.   आँखें आज्ञा चक्र पर रखें (दो भौहें के बीच)
4.   मुंह बडा खोल के जीभ को बहार नीकाले
5.   गले से शेर की तरह दहाड़े (आवाज़ नहीं)
6.   हर समय अनुमान करे कि आप शेर अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं

मानव अवतरण के लिए

8)  सूर्य नमस्कार ( बार, अधिकतम ३ बार)
1.   दोनों पैरों पर खड़े हो जाए
2.   दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठाएं
3.   फिर हथेलियों को सिर पर नमस्कार में जोड़े
4.   साँस लेते हुए पीछे झुके तब कान बाहों से दबाए हुए रहे
5.   धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए आगे झुके ताकी शिर घुटनों को छूए
6.   दोनों हथेलियां पैरों के बगल मे रखे
7.   अपने घुटनों को सीधा रखने की कोशिश करें
8.   साँस लेते हुए जितना संभव हो उतना दाहिना पैर पीछे ले जाए
9.   ऊपर की ओर देखो
10. साँस छोड़े ओर बाया पैर पीछे ले जाए
11. एड़ी को एक साथ रखें
12. शरीर को सीधी रेखा में रखें
13. फर्श पर घुटने के बल हो जाए
14. कूल्हों को पीछे धकेले
15. शरीर को आगे बढ़ाएं
16. फर्श पर छाती और ठोड़ी से स्पर्श करे
17. कूल्हों को ऊपर करे
18. कूल्हों को नीचा करे
19. सिर और सीने को ऊपर उठाएं
20. ऊपर की ओर देखो
21. साँस छोड़ें और सिर नीचे ले जाएं
22. कूल्हे ऊपर लेकर उल्टा वी बनाए
23. दाहिने पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएँ
24. ऊपर की ओर देखे
25. साँस छोड़े और बाया पैर आगे बढ़ा के दो हाथों के बीच लाए
26. माथे से घुटनों को स्पर्श करें
27. साँस लेते हुए हाथ और सिर उपर उठाए
28. साँस छोड़े और हाथ नीचे ले
·         हर समय अनुमान करे कि आप मानव अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं
·         बाएं पैर से प्रक्रिया दोहराएं


9)  ओशो बस्त्रिका ( मिनट, अधिकतम १० मिनट)
1.   दोनों पैरों पर समान रूप से खड़े हो जाए
2.   छाती मे से बलपूर्वक साँस नाक से छोड़े
3.   हर समय अनुमान करे कि आप मानव अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं


10)ओशो कपालभाति + “हू” + बंध ( मिनट, अधिकतम १० मिनट)
1.   ऐसे कूदे की एड़ी फर्श पर चोट करे
2.   जब आपकी एड़ी फर्श को छूए, तब नाभि मे से बलपूर्वक मुंह से एसे साँस छोड़े की "हू" ध्वनि बाहर आए
3.   तय समय के बाद, पूरी तरह से साँस छोड़े
4.   मुला बंध करे (गुदे को सिकुड़े)
5.   उड्डियान बंध करे (उदर की दीवार ऊपर की ओर उठाए)
6.   जालंधर बंध करे (सिर को झुकाकर ठोड़ी को गले के पास कंधे की हड्डियों के बीच में दबा देना)
7.   हर समय अनुमान करे कि आप मानव अवतरण के अवांछित कंपन को निकाल रहे हैं


11)अनुलोम-विलोम + भ्रामरी ( मिनट, अधिकतम १० मिनट)
1.   पद्मासन या सिद्धासन मे सीधे रीढ़ के साथ बैठे 
2.   अपनी आँखें बंद करें
3.   दाहिने अंगूठे से दाहिना नाक बंद करे
4.   बाएं नाक से साँस ले
5.   तीसरी उंगली से बाएं नाक को बंद करें
6.   दाहिने नाक से साँस छोड़े
7.   यही चरण बाएं नाक के लिए दोहराएं
8.   तय समय के बाद
9.   पूरी तरह से साँस ले
10. गालों का गुब्बारा बनाओ
11. अंगूठे से दोनों कानों को बंद करें
12. पहली उंगलियों से आँखों के आंतरिक बिंदु दबाएं
13. दूसरी अंगुलियों से नाक बंद करें
14. तीसरी और चौथी अंगुलियों से होंठ बंद करें
15. जीभ को तालु से लगाएं
16. गले से 'ओम' मे “ म ” की गुंजार करे
17. हर समय अनुमान करे कि आप उच्च कंपन पकड़ने के लिए खुद को सक्रिय कर रहे हैं

सकारात्मक लक्षण खोजने के लिए

12)ध्यान ( मिनट, उम्र के अनुसार)
1.   पद्मासन या सिद्धासन मे सीधे रीढ़ के साथ बैठे
2.   अपनी आँखें बंद करें
3.   ढीले शरीर के साथ बैठे
4.   शरीर को ना हीलए
5.   सही या गलत की पहचान के बिना अपने विचारों को देखें
6.   हर समय अनुमान करे कि आप उच्च आत्माओं से स्वर्ण रोशनी प्राप्त कर रहे हैं

धन्यवाद
इस वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद।
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