आई ये सहस्रार चक्र पर
ऊर्जा ले जाने के लिए एक छोटा सा ध्यान करेंगे|
और उसके बाद सात चक्रों और
सात शरीर का सारांश देखेंगे|
ये ध्यान बैठ कर ही करे|
पद्मासन या सिद्धासन में सीधे रीढ़ के साथ
बैठे|
हाथों की सारी उंगलियां एक-दूसरे में डाल
लेनी हैं|
दोनों हथेली जोड़ ले हाथों को अपनी गोद में रख लेना हैं|
अपनी आँखें बंद कर ले |
अपने पूरे शरीर को एकदम ढीला छोड़ दे |
शरीर को ना हीला ऐ या ना झुका ऐ|
अपनी बंद आँखें से पूरे
ध्यान को दो भौहें और नाक का उपरि शिरा तीनों जहाँ मिलता हे वहाँ रखे|
होठ हलक़े से बंद कर ले और
जीभ को तालू से लाग ले |
सांस को एकदम धीमा और
सामान्य कर दे|
बोलना नहीं हे पर मन में
अपने आप को पूछे “मैं कौन हूं?”
दो “मैं कौन हूं?” के बिच में जगह ना रहे ऐसे तेजी से
पूछते रहे |
“मैं कौन हूं?” “मैं कौन हूं?” “मैं कौन हूं?” “मैं कौन हूं?” “मैं कौन हूं?”
महसूस करें कि आप की चारों
और कोई है ही नहीं |
आप अकेले जैसे कुछ ढूंढ रहे
हैं|
महसूस करें कि आप मन की अथक
गहराई में गिर रहे हैं|
श्वास-श्वास, हृदय की
धड़कन-धड़कन, कुछ याद न रह जाए, बस एक
प्रश्न रह जाए मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...
और भीतर, और गहरे
और भीतर, और गहरे
एक गहरी शांति छाती चली
जाएगी।
अथक गहराई में गिरते चले जा
रहे हैं| ... गिरते चले जा रहे हैं| ... गिरते चले जा रहे हैं|
कही कोई आसरा ही नहीं, ना
गुरु हे, ना मास्टर हे, ना भगवान हे कोई हे ही नहीं|
अथक गहराई में गिरते चले जा
रहे हैं| ... गिरते चले जा रहे हैं| ... गिरते चले जा रहे हैं|
एक ही गूंज रह जाए मैं कौन
हूं? मैं कौन
हूं? मैं कौन हूं?
बहुत घबराहट हो रही हे आप
कोई सहारा चाहते हे और कोई हे ही नहीं |
अथक गहराई में गिरते चले जा
रहे हैं| कही कोई नजर नहीं आ रहा|
अथक गहराई में गिरते चले जा
रहे हैं| ... गिरते चले जा रहे हैं| ... गिरते चले जा रहे हैं|
गहरा अँधेरा छा गया हे|
जैसे सब खत्म हो गया|
अब कुछ हे ही नहीं |
मैं कौन हूं? प्रश्न भी
खो गया |
एक गहरी शांति भीतर छा गई
हे|
जैसे तूफान के बाद सब शांत
हो गया|
छोड़ दें... बिल्कुल छोड़
दें...शांत हो जाएं।
मन के गहरे लेवल से बाहर
आकर पूरा जागरूक हो जाए|
हल्का महसूस करे|
धीरे-धीरे आंख खोले
धीरे-धीरे हाथ खोले
थोड़ी देर मौन बैठे रहें
ये मेडिटेशन को रोज सुविधा
अनुसार करे|